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शोषितों का रंगमंच: एक परिचय (Theatre of the Opressed) by Sambhaavnaa Institute of Public Policy and Politics [25-30 सितम्बर, Hindi; Palampur, HP]: Register Now!

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पृष्ठभूमि

क्या संस्कृति महज़ कला और स्थापत्य है या इससे ज्यादा भी कुछ है | यह जिंदगियों पर कैसे असर डालती है? क्या इसका अस्तित्व सिर्फ अतीत में था, जिसे दूर से ही देखा जा सकता है? हमारे चारों तरफ जो कुछ है वह इस प्रकार की विडम्बना से घिरा हुआ है, जैसे आदिवासियों की चित्र शैली वारली का पूंजीवादकरण किया जा रहा है ताकि उसे एक उत्पाद अथवा वस्तु में बदला जा सके – जैसे कि हमारे लैपटॉप या पिट्ठू बैग पर बनी कलाकृतियाँ| क्या यह संस्कृति है?

देश के युवा कावड़ यात्रा के नाम पर, संस्कृति  के नाम पर अराजकता फैलाते हैं,  एक विशेष तपके के लोगों को निशाना बनाकर, साम्प्रदायिक हिंसा के आधार पर शोषित डाला जाता है, कोविड से होने वाली मौतों को दिया जलाने और थाली बजाने या ढोल बजाने के उत्सवों से ढका जाता है| क्या संस्कृति के नाम पर इसे आम बनाकर वैधता दी जा रहा है?  

रंगमंच हमेशा से संस्कृति का दूसरा नाम रहा है – महज़ अभिव्यक्ति की एक विधा के तौर पर नहीं, बल्कि अपनी अन्य विशेषता के साथ समाज के सामने एक आइना और एक खिड़की दोनों बनते हुए| किसी भी अन्य यात्रा की तरह, संस्कृति भी संरचनात्मक ढांचे के बिना चलती और बढ़ती है व विकसित होती है| यह अपने विस्तार में एक सीधी लकीर नहीं बल्कि मनचाहे अनगढ़ तरीके से विकसित होती है।

शोषितों का रंगमंच Theatre of the Oppressed (Toto) और बातचीत की संस्कृति

शोषितों का रंगमंच समानता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के राजनीतिक विचारों पर आधारित एक अभ्यास है। दुनिया भर में, विभिन्न आंदोलनों, समुदायों और संगठनों ने इसका उपयोग सामाजिक-सांस्कृतिक बदलाव शुरू करने के लिए किया है।
Toto लोगों का एक रंगमंच है।

इस प्रकार के थिएटर का अभ्यास करने वाले जन समुदाय से आते हैं और उन्हें थिएटर कलाकार होने की आवश्यकता नहीं है। यह थिएटर एक ऐसा माध्यम है जो विभिन्न संवाद की स्थिति बनाता है और समाज में बदलाव का अवसर प्रदान करता है।  

इस कार्यशाला के उद्देश्य

यह एक प्रथम स्तरीय एवं परिचयात्मक स्तर की 6 दिन की कार्यशाला है। यह विभिन्न क्षेत्रों में toto अभ्यास करने के संभावित तरीकों का परिचय है। यह कार्यशाला सहभागिता पर केंद्रित करेगी जो लोगों को मुद्दों की पहचान करने, उन्हें लघु नाटकों के रूप में व्यक्त करने और एक ऐसी संरचना बनाने की संभावना प्रदान करती है। 

इस नाट्यमंच के माध्यम से दर्शकों के साथ एक सक्रिय संवाद शुरू किया जाता है।

यह तीन स्तरीय कार्यशाला एक गहन कार्यक्रम का आयोजन हैं, जिसे एक कीप (funnel) के रूप में डिज़ाइन किया गया है – यह 10-18 महीनों में फैला हुआ है जिसमें हर स्तर से प्रस्थान संभव है लेकिन नए लोगों के लिए केवल बुनियादी स्तर पर और अनुभव वाले लोगों के लिए मध्यस्थ स्तर पर प्रवेश संभव है। इसमें प्रतिभागियों के नेतृत्व में ऑन-साइट कार्यशालाएं और कार्य परियोजनाएं दोनों शामिल हैं।

यह कार्यशाला किनके लिए है?

यह कार्यशाला परिवर्तनकारी, सामाजिक कार्यों में लगे हुए लोगों, कार्यकर्ताओं, सामाजिक आंदोलनों में शामिल लोगों, रंगमंच कार्यकर्ता जो सामाजिक बदलाव के आयाम पर काम करते हैं, तथा उन युवा रंगमंच कलाकारों के लिए है जो सामाजिक बदलाव की तकनीकों की तलाश में हैं।

यह कार्यशाला विशेष रूप से उनको प्रोत्साहित करती है, जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं, और उसके लिए विभिन्न माध्यम तलाश रहे हैं। इस कार्यशाला के लिए आपका थिएटर कलाकार होने की बिलकुल भी आवश्यकता नहीं है।

यह कार्यशाला उनके लिए आदर्श कार्यक्रम है जो नाटक को सामाजिक बदलाव के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।

कार्यशाला समन्वयकों का परिचय

फ़ातेमा विभिन्न स्तरों पर शिक्षा की पुनर्कल्पना में शामिल हैं, उन्होंने कई वर्षों तक बच्चों के साथ काम किया है और वर्तमान में युवाओं और कार्यकर्ताओं की राजनैतिक शिक्षा में शामिल हैं। उन्होंने ‘वंचितों का रंगमंच’ प्रशिक्षण के तीन स्तर पूरे किये हैं और अन्य कार्यशाला के प्रतिभागियों के साथ विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर ‘वंचितों का रंगमंच ‘ प्रणाली के ज़रिये प्रतिभागियों के साथ सामाजिक उत्पीड़न को समझने में कार्यरत रही है. फ़ातेमा पर्यवरणीयविद होने के साथ साथ एक होमेस्कूलिंग माँ भी है.

संकेत पिछले 11 वर्षों से लेखक, निर्देशक और अभिनेता के रूप में थिएटर से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। उन्होंने ललित कला केंद्र, पुणे विश्वविद्यालय से थिएटर में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। उन्होंने विभिन्न नाट्य प्रस्तुतियों, फिल्मों और टेलीविजन में अपार प्रतिभा और रचनात्मकता का प्रदर्शन किया है

मोहम्मद एक TOTO अभ्यासी हैं जो जन भागीदारी के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन के लिए काम करते हैं। एक कार्यकर्ता के रूप में एक दशक से अधिक समय से सामाजिक न्याय के लिए काम कर रहे हैं और संभावना संस्थान टीम का हिस्सा हैं।

TOTO प्रथाओं से परिचित होने के बाद, वह संभावना संस्थान में होने वाली विभिन्न कार्यशालाओं में एक प्रभावी शिक्षण विधि के रूप में सक्रिय रूप से लागू कर रहे हैं। उन्होंने लिंग, जाति और सांप्रदायिकता जैसे विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर छात्रों, युवाओं, कार्यकर्ताओं और कामकाजी पेशेवरों सहित कई प्रतिभागियों के साथ काम किया है। वह TOTO प्रथाओं को सामाजिक परिवर्तन के लिए काम करने वाले लोगों के करीब लाने की उम्मीद करते हैं।

भाषा

कार्यशाला की भाषा मुख्यतः हिंदी रहेगी। कार्यशाला संचालक अंग्रेजी, मराठी व गुजराती भी समझ सकते हैं।

तारीख और स्थान

25 से 30 सितम्बर, 2024, संभावना संस्थान, ग्राम व पोस्ट – कंडबाड़ी, तहसील – पालमपुर, ज़िला- काँगड़ा, पिन कोड 176061 हिमाचल प्रदेश है

प्रतिभागियों के लिए योगदान

छह दिन की इस कार्यशाला के लिए प्रत्येक प्रतिभागी के लिए योगदान राशी 6000/- रूपये होगी| हम एक संगठन से दो अथवा अधिक प्रतिभागियों को आवेदन करने के लिए प्रेरित करेंगे| प्रतिभागियों को अपना मार्ग व्यय स्वयं देना होगा|

धनराशी को अपने आवेदन ना करने का कारण ना बनने दें| आवश्यकता पर आंशिक फीस माफी की सुविधा उपलब्ध है| हमारे पास एक सीमित संख्या में छात्रवृत्ति उपलब्ध हैं, यदि आपको वास्तव में उसकी आवश्यकता है| याद रखिये ऐसे लोग भी मौजूद हैं जिन्हें इसकी आवश्यकता आपसे अधिक है| फीस माफी की सुविधा का आमंत्रण हाशिये के समाजों गैर अनुदान प्राप्त संगठनों सामाजिक राजनैतिक आंदोलनों और छात्र संगठनों के लिए है|

कैसे पहुंचे: कृपया यहां देखें

किसी अन्य जानकारी के लिए

व्हाट्सएप या कॉल करें: 889 422 7954 (सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच),
और ई-मेल: programs@sambhaavnaa.org

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